जिंदगी से इश्क हुआ
जिंदगी से इश्क हुआ
जिंदगी मुझे इश्क हो गया है तुझसे
देखा था तुझे जब पहली बार
दिल चुराकर जाने कहाँ उड़ गई थी
सोच रहा था उस पल मन ही मन में
तुझे भला क्यों ईश्क होगा मुझसे
ऐसा क्या देखा तूने कि
मेरा हमसाया बनकर साथ मेरे चलती है
अब तो तू ही मेरी धड़कन, तू ही मेरी हर सांस
तू ही मेरी महकती सुबह, तू ही मेरी इतराती शाम
सोच अगर साथ तेरा न होता
टूट कर बिखर गया होता वक़्त की आंधी में
रास्ते का पत्थर समझकर
खुदगर्ज ज़माना भी ठोकर मारकर आँखें मूंद लेता
तूफान भी सड़क की धूल समझकर
हवाओं में उड़ा देता
मगर जबसे साथ तेरा मिला है मुझे
यकीन कर बुरा पल भी
मुस्कुराके नज़रें झुका लेता है
मेरी तक़दीर कहूँ या कहूँ तेरी मेहरबानी
उलझनों के धागे भी आजकल
ख़ुद ब ख़ुद सुलझने लगे हैं
अनमने अरमान भी फिर खिलने लगे हैं
बस अब यही है गुजारिश
जब तक है सांस में सांस
साया बनकर साथ मेरे तू चलना।