जिंदगी रोक दी हमेशा के लिए
जिंदगी रोक दी हमेशा के लिए
ट्रेडमिल की तरह
भागती हुई लकीरें
मशीन में दिख रही है
आस-पास खुसर-पुसर
चल रही है लोगों की
आवाज की गंभीरता से
सीरियस बात हो रही है
ऐसा लगता है
सब जल्दी में
और हड़बड़ाहट में
नजर आ रहे है
मानो जलजला आने
वाला हो
पास ही में
कोने में बैठे
हाथ पकड़े हुए
मज़बूती से
मानो कहीं वो
छूट न जाए
पकड़कर सिसक
रहा है एक कठोर
चट्टान जैसे हाथ को
पापा अब से आपका
हमेशा कहना मानूँगा
प्लीज उठ जाओ न
मुझे मारो न
आप जो कहोगे
मैं वो करूँगा
बस आप उठ जाओ
ऐसा कहकर फिर से
फफ़क पड़ता है
मगर उसके पास
कोई नहीं है
संभालने वाला
कंधा देने वाला
ढाँढस देने वाला
कोई भी नहीं
जो होता था हमेशा
वो आज स्ट्रेचर में
लेटा हुआ है
माँ को गुजरे हुए
तो 15 साल हो गए
जब वो 5 साल का था
तभी गुजर गई
सड़क हादसे में
तब से पापा ने ही पाला
हर कदम में हाथ दिया
हर ग़लती में उंगली पकड़ कर
उससे बाहर निकला
सुख में, दुःख में
साथी बने
और आज वो
लड़ रहे है
अपनी जिंदगी से
डॉक्टर का कहना है
कि हार्ट अटैक आया है
तीसरी बार
उसे तो याद भी नहीं
कि पहले दो कब आए
बताया ही नहीं कभी उसे
या पता चलने नहीं दिया
नहीं तो वो दौड़ा-दौड़ा आता
मीलों दूर विदेश से
अचानक लगी हॉस्पिटल वैन की
ब्रेक से वो अपनी दुनिया से
बाहर निकला
धुँधली हो चुकी आँखों को साफ कर
आस-पास देखने लगा
चारों तरफ गाड़ियों, स्कूटर,
कारों का जमावड़ा लगा हुआ
क्या हुआ इतनी देर हो गई
ट्रैफिक क्यूँ लगा
हुआ है अभी तक?
और ये लाल बत्ती
अभी तक हरी नहीं हुई?
उसने किसी से पूछा
वो मंत्री जी आ रहे है न
आज इस शहर में
तो जाम लगा हुआ है
अभी आधे-एक घंटे तक
ऐसे ही रहना पड़ेगा
ट्रैफिक में फँस कर
बड़ी हुई बीप की आवाज़ से
उसका ध्यान अपने पापा की
तरफ गया जिन्हें डॉक्टर
देख रहे थे
क्या हुआ डॉक्टर?
शिकन साफ देखा
जा सकता है
उसके माथे पर
हमें जल्द से जल्द हॉस्पिटल
पहुंचना होगा कैसे भी
ऑपरेशन करना बहुत
जरूरी है इनके लिए
इनकी धड़कनें कम
होती जा रही है
वैन से बाहर निकल कर
वो ट्रैफिक पुलिस के पास गया
उनसे मिन्नतें की, हाथ जोड़े
पर वो नहीं माने
हॉस्पिटल वैन को जाने
की परमिशन नहीं
इमरजेंसी वालों को भी नहीं
सर, सर जल्दी यहाँ आइए
डॉक्टर की आवाज़ से वो
वापिस वैन की तरफ भागा
बेचैनी साफ देखी
जा सकती थी उसमें
वैन के दरवाज़े में पहुँचकर
उसकी नजर अपने पापा पर
पहुंची जो कि जैसे उसी का
इंतज़ार कर रही थी
पीला सा चेहरा झुर्रियों
से हल्का का उभरा हुआ
अधपके हुए बाल
इन सबके बावजूद एक तेज
साफ देखा जा सकता था जिसे
वो ग़ायब सा नजर आ रहा है
इन सबके बीच जिस चीज ने
उसका ध्यान खिंचा
वो था मशीन की
कानों को फाड़ देने वाली
आवाज़ लगातार बज कर
अनहोनी का संकेत दे रही थी
मानो जैसे सैलाब आता है
वैसे ही उसकी आँखों से
अश्रुधारा बह निकली
वो उसी के साथ बह कर
अपने पिता के पास पहुंच
कर उनके हाथ को दबोचते हुए
उन्हीं के पास बैठ गया
पापा मैं वादा करता हूँ
जो भी आपने मुझे सिखाया
समझाया हमेशा से
उसको मानूँगा मैं
प्लीज एक बार
बात करो न मुझसे
मानो वो जैसे उसकी
आवाज़ सुन रहे थे
हाथ झटक कर नीचे जा गिरा
कि अब वो उसकी हर ख़्वाहिश
पूरी नहीं कर सकते
क्योंकि सब कुछ हमारे
हाथ में नहीं होता
उसने आखिरी बार अपने
पिता के हाथ को पकड़कर
उसे प्यार से चूमा
माथा सहलाया
जैसे वो बचपन में उसका
सहलाते थे प्यार से
अरे देखो लाल बत्ती
बदल कर हरी हो गई
लगता है मंत्री जी चले गए
चलो अच्छा है अब कम
से कम हम तो अपनी
जिंदगी के काम पूरे कर पाएंगे
नहीं तो इनका बस चले
24 घंटे सड़क बंद रखे हमारे लिए
ऐसा बोल कर वो चल पड़े
और वो लोगों को
जाते हुए देख रहा था
अपने दिनचर्या के कामों पर
लाल बत्ती के बदलने पर
वही बत्ती जिसने उसकी
जिंदगी रोक दी हमेशा के लिए...