रिश्तों की पोटली
रिश्तों की पोटली
ज़िन्दगी में प्यार हो तो ज़िंदा हैं
गर इंसान ज़िंदा है तो रिश्ते भी हैं
चाहे कितने फासले हो या हो मजबूरी
रिश्ते गर टूटते हैं, तो सिलते भी है।
दिल से बने रिश्तों का
कभी कोई नाम नहीं होता
जज़्बा गर निभाने का हो
टूटते-टूटते मिलते भी हैं।
रिश्ते कुदरत की नियामत है
ऐसे ही नहीं मिला करते
जज़्बा निभाने का चाहिए
रिश्ते कभी ज़ुबान बदलते भी है।
दिल कभी बुरा नहीं होता
बस आइना धुंधला हो जाता है
प्यार की एक फुहार बरसे तो
धुंधले आईने कभी चमकते भी है।
रिश्तों की पोटली कभी खोना नहीं
यह नाज़ुक डोर कभी तोड़ना नहीं
गर कभी तकरार हो, या हो ठहराव
हर सफर में आगे आगे यही चलते भी हैं।