Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Saurabh Kumar

Abstract

4  

Saurabh Kumar

Abstract

जिंदगी खर-पतवार

जिंदगी खर-पतवार

2 mins
398


जिंदगी खर-पतवार

ख्वाहिशें चने की झाड़

सोचो तो सब से सरोकार

वरना सब है बेकार।।


कभी बेमकसद लगे जीना

कभी कोई कीमती नगीना

कभी उलझन की बौछार

कभी मनभावन व्यापार।।


कभी खोटा कभी छोटा

कभी वट वृछ सा विशाल

कभी मखमल की कालीन

कभी मेघ सी शालीन

कभी सुलझा सा कोई सूत्र

कभी भर-भर के जंजाल।।


जानकर भी जाने ना

कोई मर्म इसका

ना तुम्हारा ना मेरा

तो फिर है भला ये किसका।।


जिंदगी सरवर की धार

बहती रही तो निर्मल

रुक गई तो बेकार

मज़लिशें कारोबार

किसी की ना हैं ये यार।।


कभी जगना कभी सोना

कभी मूर्छा सा प्रतीत होना

कभी सजग होके जग में

कभी बेसुध सा अवतार।।


कभी अचरज सा हुआ देखूँ

क्या रख लूँ क्या फेंकूँ

कभी अमृत भरा कलश ये

कभी मदिरा की धार।।


जिंदगी खर-पतवार

ख्वाहिशें चने की झार

सोचो तो सब से सरोकार

वरना सब है बेकार।।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract