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Saurabh Kumar

Abstract

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Saurabh Kumar

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चलो मेरे साथ तुम

चलो मेरे साथ तुम

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चलो मेरे साथ तुम

ले हांथों में हाँथ तुम

देखो ये बरसात तुम

चलो मेरे साथ तुम।


भीगा दो मुझे

अपनी चाहत में

गुजारूं दिन तेरे

इबादत में

करो दिन से रात तुम

ले हांथों में हाँथ तुम।


तुम्हीं वो, हो हंसीं चेहरा

जिसपे, हम तो मरते हैं |

खुदा के दर, सवाली बन

तुम्हें आयत सा, पढ़ते हैं।


तुम्हें ही याद करके तो

हैं सारे दिन गुजरते ये।

समाये मुझ में कुछ ऐसे

की जैसे सांस भरते हैं।


ना भूलूँ, वो बात तुम

हर जर्रे, में साथ तुम

मेरे दिन-रात तुम

पूरी कायनात तुम।


दिला दो कुछ पल

तो राहत के

मिलो ना कुछ पल

तो फुर्सत से।

जियूँ सारे ख्वाब तुझमें

ऐसे रहो पास तुम।


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