जिंदगी और बता....
जिंदगी और बता....
मोहल्ले में वो अभी थी आई
रोज़ दीदार भी करते थे हम
वो भी तिरछी नज़र से देखे
लगा हमारे प्यार में है दम।
फिर लग गया लाक डाउन ये
मुलाकात न हो सकी अब
उसकी याद जो पल पल आए
खाना सोना भूल गया सब।
इंतज़ार लम्बा है शायद
घुट घुट मरने का फायदा क्या है
जिंदगी और बता , तेरा इरादा क्या है।
महीनों से दीदार न हुआ
अभी उनको मुझसे प्यार न हुआ
सोचते थे ये राज़ कह देंगे
''प्यार है तुमसे'' आज कह देंगे।
निकल गए दिन बस ऐसे ही
अब काट रहे जैसे तैसे ही
उनको मिलने को तरस गए हैं
आँख से आंसू बरस गए हैं।
पर तुम क्या जानो
हमारा उनसे वादा क्या है
जिंदगी और बता, तेरा इरादा क्या है ।
उनसे जब भी हम मिलेंगे
होठों को अपने न सिलेंगे
बस कह देंगे ''प्यार है तुमसे''
मांग लो जान भी चाहे हमसे।
तेरे लिए मैं छोड़ दूँ सब कुछ
तेरे बिना नहीं मेरा अब कुछ
मुझे तो बस चाहत है तेरी
मेरे लिए तू दुनिया मेरी।
प्यार कोई भी कर सकता
इससे ज्यादा क्या है
जिंदगी और बता, तेरा इरादा क्या है।
उसके लिए मैं देखूं सपने
फूल से दो बच्चें हों अपने
उनको स्कूल मैं छोड़ के आऊं
शाम को पार्क में खिलाऊँ ।
वो चाय का प्याला लाए
गीत कोई मैं गुनगुनाऊँ
बच्चे जब सो जाएँ तब
मैं भी उसके साथ सो जाऊं।
इक दूजे से हम मिल न पाएं
तू इस पे आमादा क्या है
जिंदगी और बता तेरा इरादा क्या है।
मिलने को अब मन करता है
पर वायरस से डर लगता है
मुझको चाहे मौत भी आये
पर उसको न कुछ हो जाये।
रोज़ मैं रब से करुँ दुआएं
दुनिया को अब तू ही बचाए
विनती कर कर होंठ थके
फिर भी गर हम मिल न सके।
तो मुझको बता
प्यार का कायदा क्या है
जिंदगी और बता तेरा इरादा क्या है
एक हसरत थी।