जिन्दा रहूंगी
जिन्दा रहूंगी
मैं जिन्दा रहुँगी
तुम्हारे आँखों के दोनो कोनों में
दया -दर्द की आँसू बनकर.
मैं जिन्दा रहूँगी।
तुम्हारी बन्द मुट्ठी में
अत्याचार के खिलाफ लड़ाई में
सहयोग देकर
मैं जिन्दा रहूँगी।
तुम्हारी सिराओं में
दुश्मनों को रोकने के लिए
गर्म खून दौड़ाने के लिए
मैं जिन्दा रहूँगी।
तुम्हारी कदमों
एक -एक कदम
कठिन और सत्य की डगर पर
ले जाने के लिए।
मैं जिन्दा रहूँगी
तुम्हारी दिल में
आजादी की अभिलाषा में
विहंगे के जैसी पंख
लगाने के लिए।
पवन प्राण, नश्वर देह को
त्याग कर
मैं जिन्दा रहुँगी
तुम्हारी दया और दर्द में
अत्याचार के खिलाफ
जोर आवाज में।
सत्य की पथ पर अग्रसर
तुम्हारी कदमों में
और बसंती हवा
आजाद पसन्द
पवित्र मन में।

