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Samreen Sheikh

Tragedy

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Samreen Sheikh

Tragedy

जीवन

जीवन

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ग़मज़दा ज़िन्दगी में ग़मज़दा सिला मिला

लिखने को क्या लिखते हम कागज़ हमें बिका मिला


कभी सोचा न था मुहब्बत मिल जाएगी किसी मोड़ पर वो रहनुमा मेरा मगर मुझसे ही जुदा मिला


मेरी राहों में जिसने फूलों को सजाना था

रास्ता उन्हीं से काँटों भरा पढ़ा मिला


सोचता हूं की सबने दिया बहुत है मुझको

है जाना किस किस से है क्या क्या मिला


मैं बुरा हूं ये बात ज़माने को पता थी जनाब

मुझको कब और कहा कोई अच्छा मिला!


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