थोड़ा मुझमे बिखर जाना
थोड़ा मुझमे बिखर जाना
मेरी सुबह मेरी शाम हो,
मेरी रूह का पैगाम हो,
मैं जिसे तलाशा करती हूँ रोज़,
हथेलियों में छुपा एक नाम हो,
अकेले हो तो क्या हुआ मेरी जान,
तुम एक ही मेरे लिए तमाम हो,
अब तुमसे दूर कहा है जाना,
थोड़ा मैं तुझमें बिखरुं
थोड़ा तुम मुझमें बिखर जाना !