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Rashmi Sinha

Abstract Inspirational

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Rashmi Sinha

Abstract Inspirational

जीवन से पहले मृत्यु के बाद

जीवन से पहले मृत्यु के बाद

1 min
260


और अब मैं शुरू करती हूँ अपनी लंबी सी कविता

जीवन से पहले?

मृत्यु के बाद?

अजब सा प्रश्न है,

गजब नहीं जवाब है


इस प्रश्न का उत्तर,

किसी वृक्ष के नीचे से आया,

जाहिर था, न्यूटन से लेकर,

बुद्ध ने भी,

वृक्ष के नीचे ही ज्ञान पाया,


ध्यानावस्थित थी मैं,

गुम सोच-विचार में,

तभी गिरी कुछ पीली पड़ चुकी पत्तियां,

मेरे समक्ष----

ज्ञान चक्षु कुछ खुले,

सोच को कुछ विचार मिले,


क्या होगा इन पत्तियों का,

जो मर चुकी हैं?

ओह! कहीं नहीं जाएंगी,

खाद बनकर,

वृक्ष में ही समाएगी,


और किसी मरते जा रहे वृक्ष को,

पुनर्जीवित कर जाएंगी,

यानी मरना अल्पकालिक है,

खाद में जीवन है,

और जीवन ही जीवन देता है,


अब समस्या हो चली थी आसान,

जीवन से पहले?

बतर्ज-

मिट्टी का गहरा अंधकार,

सोया था उसमें एक बीज,

वो सो न गया, मिट्टी न बना,

कोदों, सरसों से छुद्र चीज--


सो जीवन से पहले,

मानव मस्तिष्क के, वायु मंडल में,

तैरते हैं,

विचारों के असंख्य बीज,

आधे-अधूरे----

जब किसी बीज ने धरा पर ठौर पाया,

बाकी के आधे विचार,

और आधे बीज से टकराया,


तो ही जीवन के पहले का,

वो आधा अंश,

सम्पूर्ण जीवन पा पाया,

जीवन लहराया,


तो "बीज" है जीवन से पहले,

जिसने संपूर्णता,

गुरुत्वाकर्षण के फलस्वरूप,

धरा पर ही पाया,


और ये फार्मूला, इंसान हो,

या विचार,

सब पर ही मैंने,

फलीभूत होता पाया।



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