जीवन-क्षणभंगुर
जीवन-क्षणभंगुर


प्रेमभाव ओर आदर
स्वीकार कीजिए सादर
जीवन की इसमें छिपी है मिठास
आपको जरूर होगा इसका एहसास।
आपका थोडा सा नमन
छू लेगा सामनेवाले का मन
दिल से देगा आपको सन्मान
आप सोचिए इसके बारे में श्रीमान।
यदि जीवन क्षणभंगुर है
तो फिर मन मे इतना गुरूर क्यों है ?
किस बातपर आपको इतनी अकड़ है!
माया की आपपर इतनी पकड़ है?
सोचो ! पलभर की आप का बुलावा आ गया है
आप को कोई एक चीज मांगने को कहा गया है
आप कहोगे "सातवे माले पर में बैठकर अपने पोतों को देखना चाहता हूँ "
यदि आप संयमित जीवन के प्राथि है तो भगवान कहेंगे " जा में वचन देता हूँ"
यह तो एक दृष्टांत है
जीवन का एक वृतांत है
जीवन अर्थांत अंत है
प्रभु की माया अनंत है।