जीने का हक मुझे भी
जीने का हक मुझे भी
चाहिए मुझे भी जीने का हक
क्यों मारते हो मुझे नाहक
सृष्टि को जो चलाती हैं
युग युग से पूजी जाती है
नारी के बिना पुरुष नहीं
क्या समझ तुम्हें ना आती है
बोझ समझते हो जिसको
वह अमरबेल कहलाती है।
कितनी निर्ममता से
मुझको मारा जाता है
क्यों मुझसे ही इस दुनिया में
जीने का हक छीना जाता है।