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Praveen Gola

Drama

3  

Praveen Gola

Drama

जी का जंजाल

जी का जंजाल

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कोमल मन में,

कितने सवाल ?

हर सवाल में,

छिपे ढ़ेरों ज़वाब।


क्यूँ, कैसे, कब ?

अब नहीं तो फिर कब ?

नादान परिन्दे,

करें भरसक प्रयास।


व्यथित मन,

कोमल तन,

फिर भी ना हों,

कभी निराश।


बाल हठ,

एकदम डट,

हिला ना सका 

कोई पहाड़।


बाल मनोविज्ञान,

एक ऐसी पहेल,

ज़िसे बुझाना,

जी का जंजाल।


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