झूठ का अभिनय ऐसा मंच छला है
झूठ का अभिनय ऐसा मंच छला है
सत्ता का नशा चढ़ा ऐसा कर डाला है,
छल दम्भ द्वेष पाखण्ड झूठ बना डाला है,
चमकती छवियों ने गुमराह किया ऐसा है,
अभिशाप बनी नीतियों पर पर्दा डाला है।
झूठ का अभिनय ऐसा मंच छला है,
जग में सत्य का दीप जलकर बुझा है।
आज निर्भयता का अंत करते ढोंग,
कायरता की परख पर उठते लोग,
विवशता फैलाने को करतब करते ढोंग,
हृदय में कुंठा घात मोहब्बत करते लोग।
सिर्फ शासित व्यावसायिक नीतियों का ढिंढोरा,
आखिर कहां आपबीती पर न्याय का कटोरा।