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Janardan Gore

Romance

4  

Janardan Gore

Romance

झलक

झलक

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तेरी एक झलक दिखी

हुआ प्रसन्न, मन जो था दुःखी

तरस गयी थी आंखें मेरी

बस जुड़ी थी यादें तेरी ।।१।।


नजरों ने छोड़ा, ऐसा तीर

बदल गयी, मेरी मानो तकदीर

झलक तेरी पाने को तरसा

हो गया मन यह पागल सा ।।२।।


सुबह से शाम तक

दिन से रात तक

दिख जाए झलक तेरी

ख्वाहिश हो जाए पूरी ।।३।।


तूने भी रूप खूब पाया

हर वक्त, मुझे ही आजमाया

सुंदरता तुझ में ऐसी हैं भरी

तेरी हर झलक लगती प्यारी ।।४।।


पहला प्यार तू हैं मेरा

सपनों में दिखता चेहरा तेरा

आस पास नहीं दूर हैं तू 

बस मन के करीब हैं तू।।५।।



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