जहां कद्र नहीं वहां जाना नहीं
जहां कद्र नहीं वहां जाना नहीं
जहां खुशी का एक पल नहीं मन व्यथित होता है,
ऐसे ग़म के अंधकार में जीवन कहीं खो जाता है,
जहां कद्र ना होती रिश्तों की बस सौदा होता है,
रिश्तों की डोर को बस दौलत से बांधा जाता है,
बिना गलती के भी जहां हर बार झुकना पड़ता है,
जहां इज्जत नहीं होती सिर्फ धोखा ही मिलता है,
जहां लगे किसी को हम से उन्हें तकलीफ होती है,
उन स्थानों को छोड़ देना ही सर्वदा बेहतर होता है,
जहां रिश्ते दिल से नहीं दिमाग से निभाए जाते हैं,
अकसर उन रिश्तों से निकल जाना बेहतर होता है,
जहां सिर्फ ज़रूरत पड़ने पर ही इंतज़ार होता है,
अपनापन नहीं केवल रिश्तों का व्यापार होता है,
जो यादें मन को जंजीरों में बांध सिर्फ दर्द देती है
उन यादों से खुद को निकाल देना अच्छा होता है
जहां भीड़ में रहकर तन्हाई का एहसास होता है,
अकसर उन स्थानों को छोड़ देना बेहतर होता है।