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Rita Jha

Romance

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Rita Jha

Romance

जब मिलोगे

जब मिलोगे

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अपने दिल की मुझे कहोगे,

मेरे दिल की तुम भी सुनोगे।

छुपा के न कोई बात रखोगे,

अब जब भी तुम मिलोगे!


बहुत कह चुके दिमाग से,

बहुत सुन चुके दिमाग की।

जज़्बातों को ज़रा समझोगे,

अब जब भी तुम मिलोगे!


जानती हूँ तुम्हारे दिल में क्या है!

जो तुम्हारी नज़रों ने ही कहा है!

जुबां को इस कदर न रोकोगे,

अब जब भी तुम मिलोगे!


उल्फत में ऐसी तन्हाई ठीक नहीं,

चाहत में ये रूसवाई भी ठीक नहीं।

आकर इज़हार-ए-मुहब्बत करोगे!

अब जब भी तुम मिलोगे!


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