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Manoj Kumar

Romance Thriller Others

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Manoj Kumar

Romance Thriller Others

जब- जब तेरी जुल्फ लहराती हैं।

जब- जब तेरी जुल्फ लहराती हैं।

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जब- जब तेरी जुल्फ लहराती है।

मेरे शहर में बारिश होती है।

तू जब- जब मुस्काती है, बारिश घिर कर आती है।

तेरी चमक है आईने जैसी, साथ में जुगनुओं की बरात लाती है।


काया गोर वर्ण है तेरी, मीनाक्षी जैसी आंखें।

कोयल जैसी बोली तेरी, काले कौए भी देखें।

हिरणी की जैसी तू चलती, अंदाज तेरे निराले ।

हम तुझे मधुशाला कहे या मदिरा की प्याली।


तू कभी शर्माती हो, तो और अच्छी लगती हो ।

सुबह पुष्प खिले जो, उसमें तुम बच्ची लगती हो।

होंठ कमल पंखुड़ी जैसी लगती तू अच्छी है।

नूर हो तुम मेरे लिए और दिल की सच्ची हो।


नज़रों से तुम बाण चलाती, थोड़ा मुस्कराकर।

आसमां में तारे है जो, वो भी कहते खींच लो आ कर।

जो घुंघराले केश है तेरे, हुस्न तेरी अदाएं।

एक वर्ष के बारिश पूरे, तेरे जुल्फों में समाए।


अति कामनीय है तू, कोमल बदन है तेरे।

बागों के फूलों के ख़ुशबू, तेरे सौंदर्य पर बहुतेरे।

मुड़कर क्यों नहीं तू देखती है मुस्कराकर।

मोती जैसे टपक रहे हैं बूंदें बादल से, तेरे बदन पर।



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