जाने कितने....
जाने कितने....
ये सर्दियों का मौसम उस पर ये तन्हाईयां,
तेरी यादें हमको रुला रुला जाती है,
ऐ सनम मेरे तुझको भी मेरी याद रुलाती होगा,
होते तो आस पास तो एक दूजे से लिपट लेते प्यार के पल संग गुजार लेते,
दूर दूर है हम तो एक दूजे से कोसों,
दर्द ना तेरा हम कम कर सकते दर्द ना मेरा तुम कर सकते,
ख्वाबों में ही एक दूजे से मिलते है,
ख्वाबों में ही हर ख्वाहिशें अपनी पूरी करते है,
जाने कब होगा मिलन अपना और प्यार हमारा पास होगा,
जाने और कितने सावन हमको तन्हा गुजारने होंगे,
जाने और कितने ख्वाब हमारे टूटेंगे,
जाने और कितने इम्तिहान हम दोनों को देने होंगे ।