जान
जान
जान बची पर बेजान से पड़े हैं
हैरान है, ये क्या जिंदगी जी रहे हैं हम?
फिर कहीं सुना
शाखें रहेंगी तो फूल भी और पत्ते भी आएंगे
ये दिन अगर बुरे हैं तो अच्छे भी आएंगे।
जान बची पर बेजान से पड़े हैं
हैरान है, ये क्या जिंदगी जी रहे हैं हम?
फिर कहीं सुना
शाखें रहेंगी तो फूल भी और पत्ते भी आएंगे
ये दिन अगर बुरे हैं तो अच्छे भी आएंगे।