शिखर
शिखर
पलकें झपकते ही जैसी
आधी ज़िंदगी चली गई
इतने मशगूल थे के
जिंदगी जिये बिना ही गुजर गई
अब जब फुर्सत मिली है तो
कुछ गुजरे पल याद करते हैं
कुछ पल मुस्कान लाते है
तो कुछ पल रूह को झिंझोड़ देते हैं
एक वक्त हुआ करता था
जब दुनिया जीते का जज्बा रखते थे
अब जब शिखर पर बैठे हैं तो
अकेला क्यों महसूस करते हैं
अपनों को पीछे छोड़ देने
अफ़सोस क्यों करते हैं।