जिंदगी
जिंदगी
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क्या है री तू जिंदगी?
कभी तू बहुत तेज़ भागती है
कभी तू स्लो मोशन में चलती है
जवानी में अमीर बनने के सपने दिखा कर
बुढ़ापे में जिंदगी एक पलंग पे बिछाती है
और पूरी जिंदगी के कमाए हुए अहंकार को
तू चूर चूर कर देती है
कैसी है रे तू जिंदगी?
कभी इतना हंसती है
तो कभी फूट फूट के रुलाती है
वाह! वाह! रे ये जिंदगी।