उम्मीद
उम्मीद
उम्मीद पे दुनिया क़ायम है
उम्मीद पे हम भी क़ायम है
चलते चलते मंज़िल मिल ही जाएगी
रास्तों पे भरोसा क़ायम है
डर से तू झुकने का नाम ना ले
रिश्ताें से तू मुँह मोड़ने का नाम ना ले
तोल-मोल के प्यार से तू दूरी ही कर
पर अपने प्यार का अपमान ना कर
एक वक़्त ज़िंदगी में ऐसा भी आयेगा
दुनिया से क्या, ख़ुद पर से भी भरोसा उड़ जायेगा
अपनी तौहीन तू ऐसे ना कर
अपनी तालीम पर भी भरोसा रख
ऊँचाई पर तो तू पहुँच ही जायेगा
ये जंग तो तू जीत ही जायेगा
पर अपने मासूम दोस्तों कि
क़ुर्बानियों पे तू अपनी जित ना रख
एक बार चले जाते हैं
तो वापस नहीं आते है दोबारा
प्यार कि झप्पी से रोक ले उन्हें
के जाने का नाम ले दोबारा।