आग
आग
ये आग है
कभी दहकती है कभी सुलगती है
कभी चिंगारी बनके भड़कती है
कभी गर्मी हैं तो कभी जलन है
कभी अंगारों से आग जलाती है
कभी लाल है तो कभी काली है
पर पानी से ही प्यास बुझाती है।
ये आग है
कभी दहकती है कभी सुलगती है
कभी चिंगारी बनके भड़कती है
कभी गर्मी हैं तो कभी जलन है
कभी अंगारों से आग जलाती है
कभी लाल है तो कभी काली है
पर पानी से ही प्यास बुझाती है।