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Arunima Bahadur

Action

4  

Arunima Bahadur

Action

जाग जरा अब जाग

जाग जरा अब जाग

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मन की शक्ति जो जागी,

तन का रोग न ठहरेगा।

जो जीत लिया तूने खुद को,

दर्द न कोई फिर होगा।

माना दर्द देह का है,

विदेह बनाना भी सीखो,

मन की प्रचंड शक्ति से,

ब्रह्मांड पाना भी सीखो,

न समझो खुद को देह केवल,

वस्त्र तो जर्जर होता हैं,

मन की शक्ति को ले पहचान

तेरा केवल उससे नाता हैं,

उठ खड़ा होगा तब तू,

जब तुझमें कोई शक्ति नहीं,

खुद की शक्ति को जो पहचाने,

इससे बड़ी कोई भक्ति नहीं,

चल फिर कर भ्रमण अंतस का,

ध्यान की गहराइयों में,

मिटा परत कुसंस्कारों की,

नकारात्मक परछाइयों में,

डूब जा बस भक्ति में तू,

देख अंतस में प्रियतम बैठा है,

पुकारता तुझे युगों से,

तू क्यों खुद से रूठा हैं,

जन्म मृत्यु तो इस रंगमंच के,

आगमन प्रस्थान तो है,

कर्मभूमि है ये जीवन,

मन इसकी पहचान तो है,

आओ चलो कर मन की यात्रा,

खुद से खुद को पाने को,

जीवन की इस सुंदरता से,

मन में खुशियाँ लहराने को।।



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