इज़हार
इज़हार
आओ शिकायतें छोड़े,
थोड़ा प्यार कर लें !
शिकवा, शिकायतें तो
बहुत ही होती रहती हैं !
कभी सोचा है, आज फुरसत है,
दीदार कर लें !
पास बैठे ज़रा, हँस लें,
थोड़ा प्यार कर लें !
लफ्ज़ लड़खड़ाते थे,
दिल की बात बयां करने में !
कभी सोचा है, आज फुरसत है,
इज़हार कर लें !
थोड़ा स्पर्श पाकर ही,
छुई - मुई की तरह सिमट जाते थे !
कभी सोचा है, आज फुरसत है,
स्पर्श बार-बार कर लें !
एक झलक पाने को
तरसते थे जिनकी हम !
कभी सोचा है, आज फुरसत है,
भरपूर दीदार कर लें !
जिनकी बातें सुनते ही,
चेहरा सुर्ख गुलाब होता था !
कभी सोचा है, आज फुरसत है,
उनसे बातें बार-बार कर लें !
चाँद के अक्स में जिनका
चेहरा नज़र आता था !
कभी सोचा है, आज फुरसत है,
उस चाँद का दीदार कर लें !
पास बैठे जरा हँस ले,
थोड़ा प्यार कर लें !
शिकायतों का पुलिंदा बना दिया
जिनको हमने !
कभी सोचा है, आज फुरसत है,
शिकायतें छोड़े प्यार कर लें !
कमियां ही कमियां ढूंढ़ते हैं
जिनमें आज हम !
कभी सोचा है, आज फुरसत है,
दिल निसार कर लें !
करवटें ले लेकर रात बीतती थी
जिनकी याद में !
कभी सोचा है, आज फुरसत है,
आलिंगन बार-बार कर लें !
बिस्तर पर ना पाकर,
सिहर उठते हैं हम !
कभी सोचा है, आज फुरसत है,
उनसे ये इज़हार कर लें !
उनके बिना ज़िन्दगी
रीती और अधूरी है !
कभी सोचा है, आज फुरसत है,
ये जिक्र यूँ आम कर लें !
तुम हो तो हम हैं,
वरना जिन्दा लाश से क्या कम हैं !
कभी सोचा है, आज फुरसत है,
"शकुन" ये इज़हार कर लें !
