इज़हार
इज़हार
खुद से अक्सर बात तुम्हारी करता रहता हूँ
कागज पर लिख कर नाम तुम्हारा पढ़ता रहता हूँ
दोस्त सब मजनु बुलाने लगे है मुझे
अब तो तुम्हारे नाम से भी चिढ़ाने लगे है मुझे
अब मुश्किल लगता है तुमसे दूर होना
दे दो मुझको भी दिल का कोई कोना
मोहब्बत तुमको भी होगी मुझसे
इस उम्मीद से आया हूँ
नज़राने में देने को तो कुछ नहीं
बस प्यार भरा दिल लाया हूँ
मर्जी तुम्हारी है सोच कर ही सही
पर जवाब देना
अगर हाँ न कर सकी तो
फिर कभी ना कोई अपना ख़्वाब देना
हसरतें सभी पूरी हो कहाँ सकती है
ये सोच कर दिल को समझायेंगे
जिस तरह आये है वैसे ही लौट जायेंगे
पर तुम्हारी यादों को भूल न पाएंगे
मुमकिन है कि तुमको भी हम बेहद याद आएंगे.।

