इत्र के शहर वाली लड़की
इत्र के शहर वाली लड़की
रख छोड़े मैंने कुछ,
अपने ख्वाब तेरे लिए,
उन्हें टांग दिया है उन,
रास्तों में लगे पेड़ों पर !
जिस रास्ते पर,
बिछा दिये थे अरमां सारे,
ताकि जब तुम गुज़रो इन,
अरमानों को कुचलकर !
तो ख्वाब ओस की बूंदों की,
तरह तुम पर बरस कर,
तुम्हें, मेरी याद दिलाता रहे,
और याद दिलाता रहे !
हर वो मेरा अधूरापन,
जो हो सकता था पूरा तुम्हारे,
आने से...