Narendra Pratap Singh
Tragedy
मैं
तेरी जिंदगी
में अमावस का
वो चाँद हूँ
जो कभी
पूर्णिमा में
नहीं बदल सका।
प्रेम
एक उम्र वो मु...
अमावस
इत्र के शहर व...
संस्कारों की जली होलिका,छाई समाज में अमर्यादा। संस्कारों की जली होलिका,छाई समाज में अमर्यादा।
लाशें गिर रही है आसमां से बरसात जैसी अब तो फरेब खाने और झूठ छुपाने से बाज आओ लाशें गिर रही है आसमां से बरसात जैसी अब तो फरेब खाने और झूठ छुपाने से बाज आओ
भीख जिंदगी की हर कोई मांगता कोई अपनों के लिए यहां वहां भटकता भीख जिंदगी की हर कोई मांगता कोई अपनों के लिए यहां वहां भटकता
मुझे आज भी याद है वो मंजर, जहाँ की जमीन थी बिल्कुल बंजर। मुझे आज भी याद है वो मंजर, जहाँ की जमीन थी बिल्कुल बंजर।
आज जागा हूं मदहोशी से, हर एक आँसुओं का मैं कर्जदार हूं, आज जागा हूं मदहोशी से, हर एक आँसुओं का मैं कर्जदार हूं,
क्रूर काल के हाथों ने जब, छीना माँ का साया। एक नन्हा शिशु समझ न पाया, निर्दयी काल की । क्रूर काल के हाथों ने जब, छीना माँ का साया। एक नन्हा शिशु समझ न पाया, न...
अब इसे क्या कहें? कालाबाजारी या फिर मर चुकी इंसानियत। अब इसे क्या कहें? कालाबाजारी या फिर मर चुकी इंसानियत।
सुनाई दे रहा है केवल और केवल तटों का शोक गीत । सुनाई दे रहा है केवल और केवल तटों का शोक गीत ।
उनसे लूट लिए हथियार लूटी अस्मत हर लिए प्राण – उनसे लूट लिए हथियार लूटी अस्मत हर लिए प्राण –
हे रूह तू फिर जिस्म बदलेगी फिर नए रिश्तों में उलझेगी। हे रूह तू फिर जिस्म बदलेगी फिर नए रिश्तों में उलझेगी।
अंगारे सब राख हुए पत्र विहीन साख हुए, जीवन अब निर्भीक कहां पत्रकार गुस्ताख हुए ।। अंगारे सब राख हुए पत्र विहीन साख हुए, जीवन अब निर्भीक कहां पत्रकार गुस्...
पर काल का कठघरा, समय की अदालत – वहाँ कौन खड़ा करेगा किसको ? पर काल का कठघरा, समय की अदालत – वहाँ कौन खड़ा करेगा किसको ?
विशाल चट्टान जैसी परेशानियों को मोहब्बत की गर्म लौ में गला देना। विशाल चट्टान जैसी परेशानियों को मोहब्बत की गर्म लौ में गला देना।
कोविड के सत्य पर बहस बस युद्ध है, जो दुनिया की जैविकी का विशुद्ध रुप है। कोविड के सत्य पर बहस बस युद्ध है, जो दुनिया की जैविकी का विशुद्ध रुप है।
अब तो ऐसे हालात नादान सिगरेट बीड़ी का कस खिंचते वर्तमान भविष्य के कर्णधार।। अब तो ऐसे हालात नादान सिगरेट बीड़ी का कस खिंचते वर्तमान भविष्य के कर्णधा...
हम तेरी वो तलाश नहीं हैं कि जो आख़िरी हो, हम तेरी वो तलाश नहीं हैं कि जो आख़िरी हो,
ज़िगर में दम नहीं, करते हो मेरे जुनूँ का सौदा हम वो हैं, मौत भी जिससे लेकर उधार गुजरी ज़िगर में दम नहीं, करते हो मेरे जुनूँ का सौदा हम वो हैं, मौत भी जिससे लेकर उध...
झूम रही थी जिस मद्य में मैं हुआ चूर वह, हुई शर्मसार मैं। झूम रही थी जिस मद्य में मैं हुआ चूर वह, हुई शर्मसार मैं।
अब बस यही आलम है, यह पिकनिक नहीं पलायन है। अब बस यही आलम है, यह पिकनिक नहीं पलायन है।
धरती पर जरूर आएंगे हमारे पालनहार। धरती पर जरूर आएंगे हमारे पालनहार।