इश्क़
इश्क़
इश्क़ का पैताबा पहनकर
आज वह यह भूल गए हैं कि
हम जूते की तरह उन्हें
पत्थरों-कंकडों से बचाते रहे हैं,
पर, मुझे यह मालूम न था कि,
उनकी शख्सियत कुछ अलग थी,
वह जूते से ज्यादा पैताबा को
अपने जीवन में अहमियत देते रहे।
अब, उन्हें कौन समझाए ?
जूते एवं पैताबे में फ़र्क क्या हैं !
