इश्क को समझा करो
इश्क को समझा करो
क्युं तुम इश्क को समजती नहीं हो,
कभी तो नजर मुजसे मिलाया करो,
दिलसे तुमको मै इश्क करता हूँ,
कभी तो मेरे इश्क को समझा करो।
क्युं नकाब मुखसे तुम हटाती नहीं हो,
कभी तो सूरत तुम्हारी दिखाया करो,
तुमको सुंदरता की मूरत मानता हूँ,
कभी तो मेरे ईश्क को समझा करो।
क्युं इतनी नफ़रत मुझसे करती हो,
कभी तो दिल में झांखकर देखा करो,
तस्वीर तुम्हारी मेरे दिल में बसी है,
कभी तो मेरे इश्क को समझा करो।
क्युं विरह की आग में मुझे ज़लाती हो,
कभी तो इश्क की तड़प मिटाया करो,
मधुर मिलन मुझसे करलो "मुरली",
कभी तो मेरे इश्क को समझा करो।

