Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

MUKESH KUMAR

Romance

4.5  

MUKESH KUMAR

Romance

इश्क़ का रोग

इश्क़ का रोग

1 min
351


इन बर्फीली वादियों में तेरा होने में मुझे ज्यादा देर नहीं लगती 

सोने से पहले और उठने के बाद, मेरी आंख ही नहीं लगती 

चाहता हूं तुम्हें और दिलो जां से चाहता हूं मालूम है सबको ये

हां मगर मेरे चाहने के पीछे ऐसी–वैसी कोई शरारत नहीं होती।


यह सहरा है कोई या तस्सव्वुरात–ए–ज़िन्दगी 

ना मुझको जीने है देती, ना तेरा होने है देती। 

बैठे किसी पेड़ की छांव में, सोने भी नहीं देती

ज़ख़्म बहुत है सीने में, मत छेड़ रग है दुखती 

आंखों में है कसम, ये भी विरान सी है दिखती 

ये वफ़ाओं से भरी ज़िन्दगी बेरंग सी है लगती।

 

यों अदब–आदाब का लिबास पहने तुम कहां निकली 

ओ! मगरुर–ए–खुद तुम आराम करने किधर जा बैठी 

दर्द की इंतहा छोड़, इश्क़ का रोग लगा बैठी

दिल तो चीर दिया, पर तूफान को जगा बैठी


कहते हैं कि ख्वाब कभी मुसलसल नहीं होते 

पर अजब है तेरी आंखें हम भी उनमें तैर जाते।


Rate this content
Log in