इश्क का अनादर
इश्क का अनादर
मै तेरे इश्क का दीवाना बना था,
मगर तूने कभी मेरे सामने न देखा,
मै तुझ से इजहार करना चाहता था,
मगर तूने
कभी एतबार न किया।
मैने इंतजार तेरा रोज किया था,
मगर तूने
वादा कभी न निभाया,
मै मायूस बनकर खडा रहता था,
मगर तूने
कभी परवाह न किया।
मैने तुझ को दिल में बसाया था,
मगर तूने
कभी झाँककर न देखा,
मैने तेरे दिल से ताल मिलाया था,
मगर तूने
मेरा दिल ही तोड दिया।
मै तेरा ईस्तकबाल करना चाहता था,
मगर तूने
ईनायत को ममनून न किया,
मै इश्क का राग सूनाता था "मुरली",
मगर तूने
कभी इकरार ही न किया।