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Shruti Srivastava

Tragedy

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Shruti Srivastava

Tragedy

इश्क़ और समाज

इश्क़ और समाज

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एक आस थी अरमानों की डोली आएगी,

मुझे अपने साजन से मिलाएगी।

हुआ सवेरा दिन निकला,

उड़ जाएगी चिड़िया मेरी,

सोच सभी का हृदय पिघला।

कुछ नए चेहरों का मेरे घर में आना हुआ,

तोड़ दो जल्द ये रिश्ता,

कह हमें भड़काना हुआ।

हम सब सोच में डूब गए,

ससुराल की हरकत से ऊब गए।

किसी तरह हमारी शादी हुई,

भड़काऊ लोगो से आजादी हुई।

फिर भी ना वो प्यार मिला,

अरमानों की डोली का ना ही संसार मिला।

बहू किसी ने माना नहीं,

सास का प्यार मिला नहीं,

क्या निभाऊं जिम्मेदारी,

ससुराल का एहसास मिला नहीं।

दखल अंदाजी कुछ ऐसी हुई,

अनचाहे इंसानों की

सपने सारे तोड़ दिए डोली अरमानों की।



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