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Shruti Srivastava

Abstract

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Shruti Srivastava

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मौसम बसंत का आया

मौसम बसंत का आया

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आज धरती है मगन मौसम बसंत का आया

झोली भर हरियाली महक उपवन अनंत लाया

गूंजे चहुं ओर पपीहाकोयल की कूक लागी

फुलवारी बगीचे में देखो अल्साई धूप जागी


हवाओं का रुख घटाओ में आज फिर मुस्कुराया

आज धरती है मगन मौसम बसंत का आया

पीली सजी है सुंदर सरसो की डाली

अद्भुद बिखरी है देखो छटा निराली


भंवरे ने कलियों पर फिर गुनगुनाया

आज धरती है मगन मौसम बसंत का आया

ठंडी हवाओं का रुख अब बदलने लगा है

कोहरे का कहर अब ढलने लगा है


चमकती किरणों ने ठंडी भोर को जगाया

आज धरती है मगन मौसम बसंत का आया

फूलो में कलियां खिलने लगी

उपवन में तितली उड़ने लगी


सुनहरी धरती को मधुबन ने फिर महकाया

आज धरती है मगन मौसम बसंत का आया

रात भर प्रीत की याद में सजनी खोई रही

अश्कों से नैनो को भिगोई रही

बंद लिफाफे में पाकर चिट्ठी पिया की


उनके आने की एक आस जगाया

आज धरती है मगन मौसम बसंत का आया।


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