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संजय असवाल

Romance

4.7  

संजय असवाल

Romance

इस बेसबब दिल से पूछो

इस बेसबब दिल से पूछो

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तुम क्या हो मेरे लिए 

इस बेसबब दिल से पूछो,

तुम आंखों का नूर हो 

तुम तख्त शाहजहां कोहनूर हो।


तुम मिट्टी की सौंधी महक हो 

तुम पंछियों की चहक हो,

तुम इस बेसबब दिल का चैन हो 

तुम ही दिल का करार हो।


तुम दिन का उजाला हो 

तुम गोधूली की शाम हो,

तुम बिन बादल बरसात हो 

तुम रेगिस्तान की प्यास हो।

तुम चांद हो पूर्णिमा का 

तुम ही राग मल्हार हो,

तुम गीत हो 

मनमीत हो 

तुम मधुर संगीत हो।


तुम गुनगुनाती धुन हो 

तुम ही मीठी सरगम हो,

तुम भौरों का गुंजन हो 

तुम ही लजीज 

स्वादिष्ठ व्यंजन हो।

तुम कोयल की कूक हो 

तुम गुनगुनी धूप हो,

तुम नींद हो 

जो पलकों पर आ ठहरी

तुम गुलकंद मीठा ख्वाब हो 

जो आंखो में है पसरी।


तुम इस दिल की आस हो 

तुम मन का अटूट विश्वास हो,

तुम आशा की किरण हो 

तुम गुलाबी चंदन हो।

तुम ही मेरी पूजा हो 

तुम ही मेरी वंदन हो,

तुम दर्द हो 

तुम प्यास हो 

तुम ही दवा

तुम मेरे लिए बहुत ख़ास हो।


तुम सरसराती हवा हो 

तुम मद मस्त फिज़ा हो,

तुम लहराता आंचल हो 

तुम शर्मों हया की पायल हो।

तुम हरियाली हो पहाड़ों की 

तुम सादगी हो बांज बुग्यालों की,

तुम कल कल बहती नदी की धारा हो 

तुम पहाड़ों पर बिखरा कोहरा हो।


तुम ठंड हो, तुम ही ठिठुरन हो 

मेरे आगोश में लिपटा कंबल हो 

तुम गर्म चाय की प्याली हो 

तुम्हारी मुस्कान निराली हो। 

तुम क्या हो मेरे लिए 

इस बेसबब दिल से पूछो...।


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