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Ragini Sinha

Classics

4.9  

Ragini Sinha

Classics

इंतजार

इंतजार

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कठिन डगर और चाहत तुझे पाने की,

न आओगे तुम फिर भी इंतजार तेरे आने की।


किये थे वादे भी न छोड़ जाने की,

फिर भी नहीं कोई गम बिछड़ जाने का।


यहाँ वहाँ जहाँ तहाँ न जाने कहाँ कहाँ,

हरपल महफूज करती हूं दिलाये तेरे यकीं की।


माना दर्द बड़ा है इन डगमग राहों में,

फिर भी बड़ा मजा है ऐसे ही अपनी मंजिल पाने का।


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