इंतजार
इंतजार


ये क्या मदहोशी है
तेरी इन आँखों में
जैसे खोया खोया सा है
कोई सपना,
कोई अपना या किसी
का सदियों से इंतजार है
इनमें
जो छुपाए नहीं छुपता,
मुझे तो सब दिखता है
इन आँखों में
पर ढूंढे से भी
मैं नहीं दिखता
बिना बारिश इन आँखों
में पानी बार बार क्यों
आता है
कभी धूल कभी मिट्टी
तुझे कौन कौन रुलाता है
मैं जानता हूँ
तेरी इन आँखों में
कोई धूल नहीं कोई नमी नहीं
इनमें इंतजार ही है पगली
ये मेरा कोई वहम नहीं,
मुझे दुख नहीं ये इंतजार
मेरे लिए नहीं
पर तेरे भीतर दर्द है
है तो सही
मुझे सब दिखता है
मेरी जान
ये प्यार का दर्द है
ये छुपाए नहीं छुपता
मैं जानता हूँ तेरे भीतर
की खामोशी को
जो दबाए नहीं दबती
जज़्बात जो दिल में है
कमबख्त आँखें बयाँ
कर ही देती है...