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Shyam Kunvar Bharti

Tragedy

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Shyam Kunvar Bharti

Tragedy

इंसान मे जानवर

इंसान मे जानवर

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हाथी एक जानवर मगर

इंसान की इंसानियत ढोता रहा।

थके मांदे एक शेर के बच्चे को

अपनी सूंढ़ में ढोता रहा।

इंसान कहने को आदमी मगर

जानवर से बदतर होता जा रहा।

गर्भवती हथिनी को

बम भरा फल खिलाये जा रहा।

दर्द की हद को हराने

जल के अंदर साँसे रोक

मुंह को जल में सुबाए

पानी और पानी पीता रहा।

खड़े खड़े अपनी जिंदगी की

साँसे रोके जा रहा।

पशु हिंसक हो सकता था

कितनों को रौंद सकता था

मगर दर्द सारा खुद सह लिया।

तोड़ अपने साँसे

दुनिया से बिदा हो लिया।

समझना मुश्किल है

जानवर इंसान बन गया

या जानवर में इसान जिंदा हो रहा।



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