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Taj Mohammad

Tragedy

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Taj Mohammad

Tragedy

इंसान जीवन को अब ना जीता है।

इंसान जीवन को अब ना जीता है।

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इंसान जीवन को अब ना जीता है,,,

जीवन इंसान को जीता है!!!

मनुष्य की अंतरात्मा मर चुकी है,,,

वह भगवान से ना डरता है!!!


पाप, पुण्य का अंतर ना जानें,,,

बस व्यभिचर में पड़ा है!!!

लालसा मन में केवल भौतिक सुख पाने की,,,

वह हृदय में बस रखता है!!!


ज्ञानी अज्ञानी संग में जीवन जीते हैं,,,

संगत का सब असर हुआ है!!!

गुणी अवगुणी सब ही एक से हुए है,,

हर ओर बस अधर्म ही दिखा है!!!


सतयुग बीता और बीता त्रेता युग भी,,,

द्वापरयुग भी आके चला गया है!!!

अभी तो आरम्भ है ये बस कलयुग का,,,

ना जानें अंत कैसा होना है!!!


ईश्वर ने नाता तोड़ा है धरा से अपना,,,

वेद पुराण ग्रंथों में जाकर वह बस गया है!!!

अप्रत्यक्ष रूप में वह मिलता है सबसे,,,

साक्षात दर्शन ना किसी को देता है!!!


इस कलयुगी दुनियां में,,,

मनुष्य पशु समान हुआ है!!!

समझ ना उसको सम्बन्थो की,,,

बस लोभ में पड़ा है!!!


मन्दिर,मस्जिद सब सुने पड़े हैं,,,

खूब चल रहीं है मधुशालाएं!!!

शिक्षा बन गई व्यापार बड़ा,,,

निर्धन हुई है ज्ञान से पाठशालाएं!!!


इच्छाएं हावी है मानव पर,,,

क्षत विक्षत हुई सारी अभिलाषाएं है!!!

अंधविश्वास में विश्वास हुआ है,,,

टूटी फूटी नयनों में आशाएं है!!!


हे ईश्वर, कुछ मानव की अब सुध ले लो,,,

कर्मों को इनके तुम क्षमा करो!!!

दया दिखा दो कुछ पृथ्वीवासी पर,,,

धर्म की ईश्वर अब तुम रक्षा करो!!!



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