इबादत
इबादत
कोई लम्हा हम पे
मेहरबान हो जाए
कहीं से तो आपकी
आहट आ जाए
खोया-खोया रहता है
दिल हर वक़्त
बहेके जज़्बात जरा से
सँभल जाए
इंतज़ार की हमारे
इन्तहा न हो जाए
क़यामत से ही सही
आपके रूबरू आ जाए
सब्र का इम्तिहान
हो रहा है बड़ा सख़्त
बेदर्द इश्क़ की इल्तिजा
क़ुबूल फ़रमा जाए
तेरे दीदार से
एक दिन तो बन जाए
तेरी बाँहों में
बेक़रारी सुकूँ पा जाए
तेरा इक इशारा काफ़ी है
फ़ना होने के लिए
तेरे कुछ लम्हों से इस
जिंदगी की उम्र बढ़ जाए
तेरे दिल में थोड़ी सी
जगह मिल जाए
तेरी यादों में आने की
इजाज़त मिल जाए
तेरा अपना होने का एहसास
काफ़ी है जीने के लिए
तेरी आँखों में इस
दीवानगी को मक़ाम मिल जाए
बहते अश्क
आपके सजदे में झुक जाए
हर सिसक हमारी
दुआ बन जाए
चाहत का साया
बन गया है हमारा वजूद
आपकी पनाह
रहनुमा बन जाए
एहसास का हर इक कतरा
महक जाए
आपकी साँसों में हमारी
रूह तक भीग जाए
इस क़दर आपकी
चाहत में है हम
आपकी धड़कनों में समाकर
हमारी इबादत जन्नत पा जाए।