हवा का झोका
हवा का झोका
आज हवा का झोके ने,
देखा मुझे तो इतना कहा,
क्यों बैठे हो तुम गुमसुम से,
बैठे हो तुम क्यों यहाँ ?
आज की भागमभाग दौड़ में,
निश्चिंत तुम बैठे हो क्यों ?
जाकर करो तुम भी तैयारी,
ऐसे अकेले बैठे हो क्यों ?
क्यों नही बनाकर साथी,
दो किसी काम को अंजाम,
क्यों बैठे हो तुम गुमसुम से,
बैठे हो तुम क्यों यहाँ ?
माना भाग्य नहीं है साथ,
मगर सलामत हैं दोनों हाथ,
लगाओ मेहनत कुछ तुम,
और देगा साथी साथ।
रखना प्रभु पर भरोसा,
छोड़ना न कभी तुम आस,
क्यों बैठे हो तुम गुमसुम से,
बैठे हो तुम क्यों यहाँ ?
प्रभु ने यदि साथ दिया तो,
खुल जाएँगी ये बेड़ियाँ,
बंधे हैं जिनसे हाथ तुम्हारे,
कट जाएँगी ये हथकड़ियाँ।
खाली बैठकर फिर क्यों तुम,
देखते हो ये जहाँ,
क्यों बैठे हो तुम गुमसुम से,
बैठे हो तुम क्यों यहाँ ?
