हत्यारे
हत्यारे
हत्या ना अपने मन को
दबाकर ख्वाहिशों की करो
हत्या ना चाहते हुए भी
कोई काम करो
हत्या ना दिल के
कोई अरमान करो
हत्यारे होते है,
जो मजबूर करते हैं
दिल के अरमानों को,
जो रोज़ चूर करते हैं।
हत्या ना बड़ों का अनादर करो
हत्या ना मासूम से दिल का करो
हत्या ना कोई बुरा काम का लालच करो।
हत्यारे है जो गुमराह करते हैं
हत्यारे है घूसखोरी ओर पक्षपात करते हैं।
हत्या ना अपनो से दूर रहो
हत्या इस बढ़ते पाप का करो
हत्या इस बढ़ती महँगाई का करो।
हत्यारे है,नई टेक्नोलॉजी ,
जो रिश्तो से दूर करे
हत्यारे है बस
काम ही का बोझ करे।
जीवन में क्यों अब नही शांति
जीवन क्यों नही ठहरा हुआ है
भागमभाग सा हर चेहरा हुआ है
कई काम उलझनों में फंसा सा हुआ है।
इसे तो थी पहले ही शांति
मर्यादा ओर थी, हर जगह अपनी सी
सच में जीवन बहुत बदल गया है
सुकून ना जाने कहा खो गया है।
जैसे कोई हत्यारा पैदा हुआ है ?
जैसे कोई हत्यारा पैदा हुआ है ?