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गुलशन खम्हारी प्रद्युम्न

Fantasy Inspirational

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गुलशन खम्हारी प्रद्युम्न

Fantasy Inspirational

हरिगीतिका छंद...

हरिगीतिका छंद...

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ममतामयी हृदयेश्वरी,

    भव-भाव कर मॉं भंजना ।

सुरदायिनी-सुरवंदिता,

    हे दिव्य रूप सुलोचना ।।

हे भारती सुर दान से,

    बह पुण्य धार निरंजना ।

तम को हरें वरदान दो,

    मति-मान्य हो मम वंदना।।


सुन सुरसती यह प्रार्थना,

    तुम ब्रम्ह ज्ञान सुसाधना ।

विस्तार तम चहुॅं ओर है,

    अब पाप से है सामना ।। 

मझधार से भी पार कर,

    सत ज्ञान से तुम थामना ।

सुख-संपदा सब पर रहे,

    तब सिद्ध हो मम कामना।।



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