STORYMIRROR

AVINASH KUMAR

Romance

3  

AVINASH KUMAR

Romance

हर ताले की एक है चाभी

हर ताले की एक है चाभी

1 min
144

हर ताले की एक है चाभी

और मेरी चाभी हो तुम

इधर उधर क्या देखती हो

मेरे दोस्त की भाभी हो तुम


ज्यादा अब सोचो नहीं

ना हो ख्यालों में गुम

हर ताले एक है चाभी

और मेरी चाभी हो तुम


चांद सितारे देखें रास्ता

मेरी चांदनी हो तुम

जिस राग से मन हो प्रफुल्लित

वो मेरी रागिनी हो तुम

जमाना चाहे जो कहें

मेरी अर्द्धांगिनी हो तुम


नित प्रातः सायं करूं मैं वंदन

मेरी वंदना हो तुम


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance