हर सु नज़र आता है माशूक
हर सु नज़र आता है माशूक
हर सु नज़र आता है माशूक, इश्क़ में समा जाने के बाद
इश्क़ और गहरा हो जाता है , दीदार हो जाने के बाद
में उसी का दीवाना हूं, वोह ही हैं दिलदार माशुक मेरा
तबियत मचल जाति है और भी, तेरे मुस्कुराने के बाद
तराना ए इश्क़ सुनता हूं, दिल रबाब ओ रग ए तार में
हर लहज़ा बदल जाती है चाल, तेरे गुनगुनाने के बाद
हर वक्त इस सोच में गुम हूं, की तू कभी न बदलेगा
हर ज़माना बदल जाता है, एक गुज़रते ज़माने के बाद
शब ओ शाम के किस्से है यूं, लब ए दहन पर मेरे
तूने अपना बना ही लिया मुझे, मिलने मिलाने के बाद
तमाम शहर में है मेरी आशनाई, तुझ करार ए दिल से
तमाम शहर है मुझ से आश्ना, तुझ से दोस्ताने के बाद
कैफियत ए इश्क़ भी अजब, कैफियत होती है दिल पर
यक ब यक हो जाता हूं रूबरू, तसव्वुर हो जाने के बाद
एक वस्ल की शब में अजब दास्तां लिख दी तूने 'हसन'
क्या क्या न सुना मैने , उसके सुनने सुनाने के बाद।

