हर इंसां ने ओढ़ रखे हैं
हर इंसां ने ओढ़ रखे हैं
हर इंसां ने ओढ़ रखे हैं
हज़ारों रंग मुखेटे के और कहते हैं
चेहरे पर सजावट कुछ नहीं है
झूठ का ज़हर दिया जा रहा है
होले होले फिर कहते हैं
रिश्तो में मिलावट कुछ नहीं है
किसी न किसी बात से परेशां है
हर शख्स देखो सुकूँ के नाम पे
राहत कुछ नहीं है
काटने तो तैयार है
हर दूसरा इंसा पहले को
और कहते हैं इंसान में
इंसानियत कुछ नहीं है
अब लगता है तलाशें हम
अपने लिए एक नई दुनियां जैसे
इस दुनियां में हमारे लायक कुछ नहीं है
इस दुनियां में हमारे लायक कुछ नहीं है...!