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Chetan Chakrbrti

Tragedy

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Chetan Chakrbrti

Tragedy

नदी के मन की व्यथा

नदी के मन की व्यथा

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मैनें कितनों के पापों को धोया है,

कितनों को शुद्ध किया मैंने।

देखों अब वही लोग मुझको,

गंदा मैला और प्रदूषित बतलाते है।


कोई मैनें खुद में खुद ही कचरा थोड़े डाला है,

आप का दिया हुआ है ये जो मैंने आज लौटाया हैं।

कोई बाढ़ कहता है कोई आपदा,

मैंने तो बस आईना दिखलाया है।


मुझे ख़बर नहीं थी कि आपको अपनी ,

शक्ल आईने में अच्छी नहीं लगती।

पर दिल दिमाग लगा कर देखो,

आपने जो दिया क्या वही नहीं पाया है ?


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