उठो नंदिनी हूँकार भरो
उठो नंदिनी हूँकार भरो
उठो नंदिनी हूँकार भरो यहाँ यूँ कोई नही है आने वाला
तुमको खुद ही रक्षा करनी है कोई नही है बचाने वाला
यहाँ तो इंसानों की बस्ती ख़त्म हो गई है बरसों पहले
कोई भी बचा नही है इंसानियत का सत्य बताने वाला
उठो सिया हुंकार भरो यहाँ यूँ कोई नही है आने वाला
बचा अब कोई हनुमान नही तुम्हारा पता लगाने वाला
यहाँ खुद ही करो तुम संहार इन कलयुगी रावणो का
अब कोई त्रेता का वो राम नही है बाण चलाने वाला
उठो दौपदी हूँकार भरो यहाँ यूँ कोई नही है आने वाला
हर तरफ दुशाशन है अब कोई नही गदा लहराने वाला
यहाँ तुम्हें अब खुद ही अपने चीर व केश बचाने होंगे
अब कोई नहीं है माधव महाभारत शंख बजाने वाला।