दूषित पर्यावरण
दूषित पर्यावरण
विकास व शहरीकरण के कारण
बढ़ता जा रहा है प्रदूषण
दूषित होता जा रहा दिनोदिन
हमारा ये सारा पर्यावरण
खुली हवा में सॉंस लेना
अब हुआ बहुत ही मुश्किल है
विकट हुई है ये समस्या अब तो
कौन जाने इसका क्या हल है
इमारतों और सड़कों ने सारे
जंगल के पेड़ पौधे निगल लिये
फैक्ट्री कारखाने बनाकर हम समझे
हम सबसे आगे निकल गये
कार व एसी से निकलता धुआ
विषाक्त कर रहा है वायू को
शुद्ध हवा का अभाव कर रहा
कम हम सबकी आयु को
चिंतन कर के हल ढूँढें नही तो
मनुष्य जीत कर भी जायेगा हार
समस्या को हम स्वयं दावत दे रहे
मानो कह रहे ‘आ बाल मुझे मार’।